सोमवार, अक्तूबर 21, 2013

बात बोलेगी: अपनी तरह का पहला प्रयोग


समीक्षा

भारतेंदु मिश्र
(समीक्ष्य पुस्तक: बात बोलेगी(साक्षात्कार संग्रह)/प्रश्नकर्ता –डा.योगेन्द्र वर्मा व्योम/प्रकाशक/गुंजन प्रकाशन ,मुरादाबाद/मूय:३००/ वर्ष:२०१३ )
बात बोलेगी,डा.योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा लिए गए पन्द्रह साक्षात्कारों की पुस्तक है| व्योम की इस पुस्तक में संकलित साक्षात्कारों में एक सूत्रता यह कि ये सब छ्न्दधार्मी रचनाकार हैं| इनके नाम क्रमश:शिवबहादुर सिंह भदौरिया,ब्रजभूषण गौतम अनुराग,देवेन्द्र शर्मा इंद्र,सत्यनारायण,अवधबिहारी श्रीवास्तव,शचीन्द्र भटनागर,माहेश्वर तिवारी,मधुकर अष्ठाना,मयंक श्रीवास्तव,कुंअर बेचैन,जहीर कुरेशी ,ओमप्रकाश सिंह,राजेन्द्र गौतम,आनंद कुमार गौरव और कृष्ण कुमार नाज हैं|
इनमे से अधिकांश गीत गजल और नवगीत के चर्चित नाम हैं|कुछ ऐसे भी है जो इन तीनो विधाओं में लिखते हैं| व्योम चूंकि स्वयं गीतकार हैं इस लिए उनकी अपनी पसंद या जुड़ाव जिन लोगो से होगा उन्ही में से साक्षात्कार के लिए चुनाव उन्होंने किया होगा| मेरी दृष्टि में यही इस पुस्तक की सीमा भी है|ज्यादातर पूछे गए प्रश्न एक जैसे हैं| जिनके उत्तर प्राय:एक जैसे ही हैं| लगता है कुछ प्रश्न भेज कर लेख रूप में मंगवाए गए साक्षात्कार भी इसमें शामिल हैं |
बहरहाल ख़ास बात यह है कि व्योम ने इस पुस्तक में अपनी ओर से कुछ नहीं लिखा जिससे पता लगता कि उनका प्रयोजन क्या है इस पुस्तक के मूल में ? इतने साक्षात्कारों के पीछे ,जिनमे कई मंचीय लोग भी हैं, व्योम का क्या सरोकार है? लगता है कई वरिष्ठ कवियों के साक्षात्कार कर लिए तो एक किताब बन गयी |दूसरी बात यह भी चकित करने वाली है कि पुस्तक पर व्योम का कांपीराईट भी छपा है,मुझे लगता है कि व्योम जी का कांपीराईट केवल साक्षात्कार में पूछे गए प्रश्नों तक ही बनता है क्योकि उत्तर देने वाले रचनाकार के विचार तो उसके अपने है|यह भूल कई दिग्गज भी कर रहे हैं अभी नचिकेता जी द्वारा संपादित गीत वसुधा देखने को मिली तो उसमे भी सैकड़ो गीतकारो का सर्वाधिकार नचिकेता जी ने हथिया लिया है|

अब रही बात इस पुस्तक को पढने के बाद हमे नवगीत का विस्तृत इतिहास और गीत की परम्परा का अनेक रूपों में ज्ञान होता है| यदि इस तथ्य को इस पुस्तक की उपलब्धि मान लिया जाए तो उसमे भी अनेक कवियों के वक्तव्यों में परस्पर दुहराव हैं | ये साक्षात्कार अलग अलग प्रकाशित रूप में पढ़े जाए तो यह दुहराव नहीं दिखाई देगा लेकिन एक ही पुस्तक में एक ही तरह के प्रश्नों के कारण यह होना स्वाभाविक ही है|
असल में साक्षात्कार विधा में साक्षात्कार लिए जाने वाले व्यक्ति को पढ़कर उसकी रचनाशैली,विचार,उसके संघर्ष की शैली,सामयिक टकराहटो पर केन्द्रित विषयों से जुड़े प्रश्न सामने रखे जाते हैं ताकि साक्षात्कार द्वारा नए रचनाकार को पुरानी परम्परा के श्रेष्ठ /खतरनाक /संघर्ष मूलक अनुभवो का ज्ञान हो सके| यहाँ इस पुस्तक में ऐसा बहुत कम मिल पाया है| यह पत्रकारिता की विधा है|मुझे लगता है कवियों की गहरी पड़ताल होनी चाहिए जो नहीं हो पायी है,तो बात कम ही बोल पा रही है|
इसके बावजूद मै डा योगेन्द्र वर्मा व्योम की इस पुस्तक का स्वागत करता हूँ|कुल मिलाकर इस पुस्तक से कुछ छ्न्द्धर्मी कवियों के विचार उनका अनुभव और उनकी रचनाशीलता आदि की जानकारी तो मिलती ही है|दूसरी बात यह भी कि डा.व्योम की संभवत:यह पहली पुस्तक है जिसमे छन्दोबद्ध कवियों के साक्षात्कार एकत्र किए गए हैं|गीत नवगीत की दिशा में किए गए इस सार्थक प्रयोग के लिए उन्हें बधाई|ऐसे और सार्थक प्रयोगों की नितांत आवश्यकता बनी हुई है|

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