गुरुवार, सितंबर 04, 2014

शिक्षक दिवस की पूर्व सन्ध्या पर शिक्षक बन्धुओं के लिए एक गीत-


कक्षा अध्यापक


मेरी कक्षा मे पढते हैं
बच्चे पूरे साठ
मेरे लिए सभी बच्चे हैं
नई तरह के पाठ।

कुछ पाठों मे भावसाम्य है
कुछ पाठों में कठिनाई है
एक पाठ बिल्कुल सीधा है
एक पाठ बिल्कुल उलझा है
इनमे कुछ सीधे निबन्ध हैं
संस्मरण कुछ जटिल छन्द हैं।

किसी पाठ के ठाठ बाट हैं
किसी पाठ पर रोना आता
इन सबमें हैं कुछ कबिताएं
कुछ अनबूझी हुई ऋचाएं
कुछ पहाड तो कुछ सरिताएं।

मुसकाते गपियाते बच्चे
लगते हैं सब मन के सच्चे
रोज इन्हे खुलकर पढता हूं
कुछ अपने भीतर गढता हूं।

नहीं सिखा पाता हूं इनको
मै किताब की सारी बातें
नही जानता कितना मुझे
पढाना आता है
मुझको तो
बस इन बच्चों को पढना भाता है।



@भारतेन्दु मिश्र