शुक्रवार, फ़रवरी 20, 2009

छंद की शक्ति


छंद हमारे जीवन की शक्ति है. छंद मनुष्य होने की पहचान है. अच्छी छंदोबद्ध कविता मनुष्य की प्रगतिशीलता के द्वार खोलती है. मानवीय सभ्यता का इतिहास इस बात का साक्षी है. अच्छी गजलें और गीत ताउम्र लोगों की जुबानपर चढ़े रहते हैं. असल में गतिशीलता बनाये रखने के लिए हर कदम पर हम कोई गीत, गजल, दोहा, चौपाई याश्लोक दुहराने लगते हैं. ये छंदोबद्ध कवितायें ही हमें जीवनी शक्ति देती हैं और समय के अनुसार हमें आत्मविश्वास सेभर देती हैं. जबकि छंदमुक्त कविताएँ वैचारिकता के आग्रहों के कारण आम आदमी के जीवन का हिस्सा नहीं बनपातीं. इस लिए छंद प्रसंग शीर्षक इस ब्लॉग के माध्यम से मैं हिन्दी की छंदोबद्ध कविता की दशा और दिशा परबात चीत करना चाहता हूँ. आशा है शाश्वत कविता के समर्थकों का स्नेह मुझे मिलेगा. मैं छंद प्रसंग में आप सभीकवियों, और विचारकों का स्वागत करता हूँ. चुप मत बैठिये छंद प्रसंग के विचार विनिमय मंच पर आपकीप्रतिक्रिया का स्वागत है.
-डॉ. भारतेन्दु मिश्र